भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया युवा पीढ़ी के आदर्शजी.एल. बजाज में छात्र-छात्राओं को बताई अभियंता दिवस की सार्थकता


मथुरा। आज की युवा पीढ़ी अपनी सोच में बदलाव करके राष्ट्र के विकास और नव-निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकती है। भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का कृतित्व और व्यक्तित्व युवा पीढ़ी के लिए आज भी आदर्श और प्रेरणा है। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा में अभियंता दिवस पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताईं। अभियंता दिवस का शुभारम्भ संस्थान के विभागाध्यक्षों द्वारा भारत रत्न डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।
प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि आज के युवा अभियंताओं को अपनी सोच को रचनात्मक बनाकर देश को नई दिशा देने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया एक ऐसे इंजीनियर थे जिन्होंने सिर्फ तकनीकी ज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि अपनी दूरदर्शिता से समाज के अन्य क्षेत्रों भी कई प्रतिमान स्थापित किए। उनकी उपलब्धियां आज भी हमें प्रेरित करती हैं तथा याद दिलाती हैं कि एक व्यक्ति कितना कुछ कर सकता है।
कार्यक्रम की समन्वयक इंजीनियर नेहा सिंह (कम्प्यूटर साइंस विभाग) ने छात्र-छात्राओं को अभियंता दिवस की आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता बताई। उन्होंने कहा कि डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने भारत के विकास में अहम भूमिका निभाई। उनकी कई उपलब्धियां आज भी देश के विकास के लिए प्रेरणास्रोत हैं। विश्वेश्वरैया को उनके असाधारण योगदान के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने भी उनकी काबिलियत को पहचानते हुए उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था।
कर्नाटक के विकास में उनका योगदान इतना उल्लेखनीय था कि उन्हें कर्नाटक का भगीरथ कहा गया। उन्होंने नदियों को बांधने, सिंचाई योजनाओं को बढ़ाने और देश की कृषि उत्पादकता को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभाई। उनके द्वारा बनाए गए बांध, पुल और शैक्षणिक संस्थान आज भी उनकी काबिलियत के साक्षी हैं। छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा-स्रोत कार्यक्रम में संस्थान के विभागाध्यक्षों इंजीनियर संजीव सिंह, विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. सिंह (बीटेक प्रथम वर्ष), विभागाध्यक्ष डॉ. शशी शेखर (प्रबंधन) तथा इंजीनियर ऋचा मिश्रा ने सीख दी कि हर अभियंता को हमेशा कुछ अलग और नया सोचने की कोशिश करनी चाहिए। विचारों के खारिज होने से डरना नहीं चाहिए क्योंकि हर प्रयास आगे बढ़ने की दिशा दिखाता है।
वक्ताओं ने इंजीनियरिंग को हर राष्ट्र की प्रगति की नींव बताया। विभागाध्यक्षों ने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया का जीवन हमें यह सिखाता है कि एक व्यक्ति अपने संकल्प और दूरदर्शिता से समाज और पूरे देश का भविष्य बदल सकता है। वक्ताओं ने कहा कि डॉ. विश्वेश्वरैया की दृष्टि और समर्पण ने भारत में कई आधुनिक इंजीनियरिंग उपलब्धियों की नींव रखी, जिससे उन्हें भारत में आधुनिक इंजीनियरिंग का जनक खिताब मिला। अंत में विभागाध्यक्ष इंजीनियर संजीव सिंह ने सभी का आभार माना।

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