केएम हॉस्पिटल के सर्जरी चिकित्सकों ने पैंक्रियाज से कई पथरियों को निकाल कर बचाई मरीज की जान

केएम फिर बना मरीज के लिए मसीहा, दवाईयों के खर्चे पर किया निःशुल्क दुर्लभ ऑपरेशन

एक लाख में से दो या पांच व्यक्तियों को होता है क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस

मथुरा। केएम मेडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग की चिकित्सकीय टीम ने क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से पीड़ित मरीज के पैंक्रियाज से कई स्टोन निकाल कर उसे पेट के भयंकर दर्द व बीमारी से निजात दिलाई है। इस सफल ऑपरेशन में सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. अजय अग्रवाल, असिटेंट प्रोफेसर डा. सागर मित्तल, जूनियर रेजिडेंट्स डा. आशुतोष सिंह, डा. दुर्गेश, डा. विवेक मित्तल, निश्चेतना विभाग के डा. अंचल जैन सहित नर्सिंग रंजीत सिंह, सतीश, प्रीति और ओटी विभाग इंचार्ज राहुल ठाकुर, भूपेन्द्र का विशेष सहयोग रहा। केएमयू के कुलाधिपति किशन चौधरी ने सर्जरी विभाग की टीम को सफल ऑपरेशन के लिए बधाई दी है।
दरअसल छाता कस्बा में रहने वाले मोबिन के 28 वर्षीय पुत्र शोभी के अत्याधिक शराब सेवन से दो साल से उसके पेट में दर्द, था तथा लैट्रीन बार बार आती थी। परिजन शोभी को केएम हॉस्पिटल लेकर आए यहां पर ओपीडी में डा. अजय अग्रवाल और डा. सागर को दिखाया तो जांच करने पर मरीज को अग्नाशय में सूजन/क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस की समस्या का पता चला जिसमें अग्नाशय में एक से अधिक स्टोन बन गये थे, जिसका कि ऑपरेशन द्वारा ही ईलाज संभव था।
सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. अजय अग्रवाल ने बताया कि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस, अग्न्याशय (पैंक्रियास) में होने वाली सूजन है जो ग्रंथि (ग्लैंड) के प्रगतिशील विनाश का कारण बनता है। परिणामस्वरूप अग्न्याशय में पथरी विकसित हो सकती हैं जो आंत में पाचन रस को प्रवाहित करने ली नली को बंद कर देते हैं इससे मरीज के शरीर का वजन कम होने के साथ अपच, पथरी के कारण दर्द की शिकायत हो सकती है। यह बीमारी एक लाख में से किन्हीं दो से पांच व्यक्तियों में होती है।
असिटेंट प्रोफेसर डा. सागर मित्तल ने बताया मरीज दो साल से पेट में दर्द की शिकायत थी मरीज की एमआरसीपी की रिपोर्ट में पैनक्रियाज में स्टोन होने का पता चला साथ ही पैनक्रियाज की नली फूली हुई थी। ऑपरेशन के द्वारा पैनक्रियाज की नली खोलकर अंदर की पथरियां निकाली गई और आंत को काट कर रु-एन-वाए लूप बनाया गया। इसमें एक आंत का टुकड़ा पैनक्रियाज की नली में जोड़ा गया। अब मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जा चुका है।
सीनियर प्रोफेसर डा. यशपाल जिंदल ने बताया इस रोग में मरीजों में इंसुलिन व खाना पचाने का एनजाइम बनाने वाली पैनक्रियाज ग्रन्थि की नली में रूकावट में ग्रन्थि स्वतः नष्ट होने लगती है, खाना न पचन के कारण वचन कम होने लगता है, साथ ही अत्याधिक दर्द की शिकायत बनी रहती है। लम्बे समय तक रूकावट रहने से पैनक्रियाज में पथरी बनने लगती है। इस क्रोनिक पैनक्रिएटाइसिस बीमारी कहते है। शुरूआती अवस्था में दवाई से इलाज करते है, अगर आराम नहीं मिलता तब पैनक्रियाज की सर्जरी कर मरीज को ठीक किया जाता है।
केएम हॉस्पिटल के मेडीकल सुपरिंटेंडेंट डा. अभय सूद ने बताया कि केएम अस्पताल की सर्जरी विभाग के सीनियर प्रोफेसर अजय जैन, एसोसिएशन प्रोफेसर डा. संकल्प श्रीवास्तव, असिटेंट प्रोफेसर डा. अश्वनीश उनकी जूनियर रेजिडेंट्स डाक्टर्स द्वारा सफल सर्जरी की जा रही है। मथुरा अन्य शहरों के मरीज केएम अस्पताल में दवाईयों के खर्चे पर निःशुल्क ऑपरेशन करा रहें है।

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