जिला ब्यूरो चीफ अनिल अवस्थी
औरैया। जिले में कांग्रेस पार्टी लगातार कमजोर होती दिखाई दे रही है। संगठन स्तर पर कई खामियों और आंतरिक अव्यवस्थाओं के कारण पार्टी अपनी जमीन मजबूत करने में नाकाम साबित हो रही है। हाल के विश्लेषण में कांग्रेस की गिरती पकड़ के पीछे कई कारण सामने आए हैं।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस में वंशवाद का बढ़ता प्रभाव स्थानीय नेतृत्व को असरहीन बना रहा है। वहीं जिला कांग्रेस का आम जनता से लगातार बढ़ता दूरी भी संगठन को कमजोर कर रहा है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि छोटे कार्यकर्ताओं को महत्व न देने और उनकी लगातार उपेक्षा से पार्टी का जनाधार टूटता जा रहा है।
जिले में कांग्रेस की सक्रियता का हाल इतना कमजोर हो चुका है कि धरातल पर संगठन कम, सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय नजर आता है। साथ ही योग्य और जमीनी नेताओं की कमी तथा निष्ठावान कार्यकर्ताओं के अभाव से संगठन ढहता जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि कांग्रेस का संगठन विस्तार वर्षों से अटका हुआ है। बूथ से लेकर ब्लॉक स्तर तक पार्टी की पकड़ बेहद कमजोर है। हालात यह हैं कि चुनाव आते ही संगठन को योग्य प्रत्याशी खोजने में मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।
कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि जिला नेतृत्व का तानाशाही रवैया नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने में बड़ी बाधा बन रहा है। बूथ लेवल पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को महत्व न दिए जाने से संगठन की जड़ें और भी कमजोर हो रही हैं।
इसके अलावा कांग्रेस का केवल अल्पसंख्यक वोट बैंक पर निर्भर रहना भी जिले में पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। पार्टी की बैठकों में भी केवल “मुट्ठीभर कांग्रेसी” ही दिखाई देते हैं, जिससे संगठन की वास्तविक स्थिति उजागर होती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर पार्टी को जिले में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो उसे न केवल जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ानी होगी बल्कि कार्यकर्ताओं का सम्मान, संगठन विस्तार और नए नेतृत्व को आगे लाना होगा।





