केएम विवि में हुआ एक दिव्य मिशन के रूप में राष्ट्रवाद-स्थिरता पर व्याख्यान

श्रीअरबिंदो के शिक्षिक योगदान पर विद्वानों ने किया मंच साझा

मथुरा। “एक दिव्य मिशन के रूप में राष्ट्रवादः सतत विकाश के संबंध में श्रीअरबिंद के शैक्षिक दर्शन का महत्व” के संबंध में के.एम. विश्वविद्यालय में व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्रारंभ में, के.एम. विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशन चौधरी ने पुडुचेरी और मथुरा के श्री अरबिंदो सोसाइटी शाखा से आए गणमान्यों का हार्दिक अभिनंदन व स्वागत किया।

केएम विवि के चांसलर के सलाहाकार तथा कार्यक्रम के संयोजक डा. एसपी गोस्वामी ने श्री अरबिंद और माताजी का शिक्षा दर्शन समग्र शिक्षा तथा आत्म-खोज, आंतरिक स्वतंत्रता और चेतना के विकास पर ज़ोर दिया। व्याख्यान कार्यशाला के दौरान कुलसचिव डा. पूरन सिंह, मेडीकल प्राचार्य डा. पीएन भिसे ने मुख्य और विशिष्ट अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर, स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

मुख्य अतिथि डा. किशोर कुमार त्रिपाठी, सदस्य सचिव, अरोभारती, श्री अरबिन्द सोसाइटी ने श्री अरविन्द के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 21वीं सदी भारत की है। राष्ट्र सर्मपण के प्रति हम सभी को भावना रखनी चाहिए, जिससे जीवन में खुशी आये। भारत को जरूरत है राष्ट्र के विकास की, जिसके लिए हमें लीडरों के व्याख्यान पढ़ने चाहिए। उनके व्यक्तित्व को अपनाते हुए शिक्षा प्राप्त कर भारत को विश्वगुरू बनाना है। डॉ किशोर कुमार त्रिपाठी ने एक दिव्य मिशन के रूप में राष्ट्रवाद के संदर्भ में महर्षि अरबिन्द और श्रीमाताजी के चिंतन पर छात्रों के साथ महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।

विवि के कुलसचिव डा. पूरन सिंह ने कहा श्री अरविन्द ने भारतीयों को उच्चतम अध्यात्मिकता के लिए तैयार करना अपना लक्ष्य उचित समझा था क्योंकि उनकी धारणा थी कि भारत का उद्देश्य सम्पूर्ण मानवत्ता को जाग्रत करके चेतना के एक उच्चतर स्तर पर रखना है। श्री अरविन्द ने कभी भी स्वयं को राष्ट्रीय कर्मक्षेत्र से अलग नहीं किया था, पाण्डिचेरी का जीवन श्री अरविन्द की महान् योग साधना और साहित्यिक क्रिया का जीवन रहा। उन्हांने अनेक कृत्तियाँ विश्व को दी है, जिसमें दिव्य जीवन, मानव एकता का आदर्श, योग के तत्व, कर्मयोग का आदर्श, मानव चक्र, भारतीय संस्कृति के आधार है।

विशिष्ट अतिथि अनिल वाजपेई ने कहा आप सभी सौभाग्यशाली है कि आप केएम विश्वविद्यालय से जुड़े है, विदेश के लोग इंडिया आ रहे है देश को जो मान मिल रहा है वह भारतीय डाक्टरों के कारण मिल रहा है। आप ही इस राष्ट्र को आगे ले जाकर भारत को विश्वगुरू बनायेंगे। हमारे पुराने वेदों में राष्ट्र की बात कही गई है। उन्होंने राष्ट्र क्या है, वेदों, 12 ज्योतिलिंगों, नदियों पर प्रकाश डाला। आपको अपना दीपक स्वयं बनकर अपने को अंदर से जागृत करना चाहिए। ईश्वर की कोई सीमा नहीं, ऐसे ही ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है, अध्यात्म भारत के राष्ट्र वाद में देखने को मिलता है।

व्याख्यान कार्यशाला में विद्वानों ने श्री अरविंद के द्वारा दुनियाभर को दिए गए प्रकाश के बारे में एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को बताया, युवा पीढ़ी को श्री अरविंद द्वारा बताया गया है कि राष्ट्र समर्पण प्रति भावना रखकर हम जीवन में खुशी पा सकते है और दूसरों को खुशी दे सकते है, राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव कैसे रखना चाहिए। श्री अरविंद के व्याख्यान, उनके व्यक्तित्व को पढ़े और शिक्षा हासिल कर भारत को विश्वगुरु बनाये।

इस अवसर पर श्री अरबिंदो के शैक्षिक दर्शन, राष्ट्रवाद पर एसएचआर ऋषि कुमार शर्मा, अमरनाथ गर्ल्स डिग्री कालेज डा. मीता वाजपेई, श्रीमती चंचल अग्रवाल (अमरनाथ गर्ल्स डिग्री कालेज), श्रीमती ज्योति त्रिपाठी अमरनाथ गर्ल्स डिग्री कालेज आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम संयोजक डा. एसपी गोस्वामी ने व्याख्यान का समापन राष्ट्रगान और भारतभूमि माता की प्रार्थना गीत के साथ करवाया। इस मौके पर विवि के समस्त फैकल्टी के एचओडी और सभी संकायों के सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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