रायबरेली ब्यूरो धीरेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट
ऊंचाहार, रायबरेली। ऊंचाहार थाना क्षेत्र में न्याय की उम्मीद लेकर पहुंचे ग्रामीणों के साथ पुलिस द्वारा ही ‘धोखाधड़ी’ किए जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। झाला बाग निवासी राजेश कुमार सहित आधा दर्जन ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि जीरो-ब्याज लोन के नाम पर उनके खातों का इस्तेमाल कर लाखों की साइबर ठगी की गई। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अपराधियों पर नकेल कसने के बजाय, स्थानीय पुलिस पर ही आरोपियों को छोड़ने के बदले मोटी रकम वसूलने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, साइबर सेल की जांच में गोपालपुर और हटवा जैसे गांवों के संदिग्धों को पकड़ा गया था। आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने दो बिचौलियों के माध्यम से एक लाख रुपये से अधिक की ‘डील’ कर मुख्य संदिग्धों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के छोड़ दिया। यह सीधे तौर पर पुलिस अधीक्षक डॉ. यशवीर सिंह के भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन के दावों को ठेंगा दिखाने जैसा है।
साजिश के बीच न्याय की गुहार
एक तरफ ठगी के शिकार ग्रामीण अपनी मेहनत की कमाई और सम्मान बचाने के लिए कोतवाली के चक्कर काट रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय पुलिस द्वारा उन पर ही सुलह करने का दबाव बनाने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, एसपी डॉ. यशवीर सिंह की सख्ती के बाद महकमे में हड़कंप मचा है। कप्तान की फटकार के बाद अब बिचौलियों द्वारा वसूली गई रकम वापस करने की चर्चाएं भी आम हैं।
एसपी ने फटकार लगाई तो स्थानीय पुलिस ने अपनी साख बचाने के लिए दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज तो कर लिया लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की।
अब देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित रहेगी, या उन भ्रष्ट कर्मियों पर भी गाज गिरेगी जिन्होंने चंद रुपयों के लिए साइबर अपराधियों को अभयदान दिया?





