भारत में सनातन बोर्ड के गठन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।इसमें भारत के सनातनी युवाओं को आगे आ कर सनातन बोर्ड गठन करवाने के लिए बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। भारत की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं की समृद्ध धरोहर को संरक्षित और सशक्त करने के लिए “सनातन बोर्ड” का गठन एक आवश्यक कदम है। यह बोर्ड भारतीय समाज के सनातनी मूल्यों, वेदों, शास्त्रों, और धर्मग्रंथों के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और अनुसंधान के लिए एक संगठित मंच प्रदान करेगा।
सनातन बोर्ड की आवश्यकता क्यों है?
वर्तमान में वैश्वीकरण और बदलते सामाजिक परिवेश के कारण सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों और परंपराओं का ह्रास हो रहा है। एक समर्पित बोर्ड इन मूल्यों को सहेजने और पुनर्स्थापित करने में मदद कर सकता है।
आज के युवाओं को धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए एक ऐसा मंच चाहिए जो उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन दे सके।
भारत में सैकड़ों प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जो समय के साथ क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। सनातन बोर्ड इन स्थलों के संरक्षण और पुनर्निर्माण के लिए कार्य कर सकता है।
भारत की सांस्कृतिक पहचान का एक बड़ा हिस्सा सनातन धर्म पर आधारित है। इस बोर्ड के माध्यम से भारतीय समाज की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत किया जा सकता है।
प्राचीन संस्कृत ग्रंथों को सरल भाषा में अनुवादित कर आम जनता तक पहुंचाना।
समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना।
धर्म और शिक्षा क्षेत्र के विद्वानों को एक मंच पर लाकर सनातनी विचारधारा को मजबूती प्रदान करना।
समाज में भेदभाव और असमानता को समाप्त कर समानता और एकता का संदेश देना।
इस बोर्ड में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हो सकते है। जो धार्मिक मार्गदर्शन प्रदान करें।
जो धर्म और संस्कृति के प्रति नई पीढ़ी को जागरूक करें।
जो धार्मिक स्थलों के संरक्षण और आयोजन का प्रबंधन करें।
जो धर्म और विज्ञान के बीच समन्वय स्थापित करें।
सनातन बोर्ड की स्थापना केवल सरकारी प्रयास से ही नहीं हो सकती, बल्कि इसमें समाज का सक्रिय योगदान भी आवश्यक है। धार्मिक संस्थाओं, संगठनों और आम जनता को इसके लिए सहयोग देना होगा।
सनातन बोर्ड का गठन भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को सहेजने की दिशा में एक सार्थक कदम हो सकता है। यह बोर्ड न केवल प्राचीन परंपराओं को संरक्षित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित भी रखेगा। सनातन धर्म की मूल भावना – “वसुधैव कुटुंबकम” और “सर्वे भवंतु सुखिन:” को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच बन सकता है।
सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में पहल करनी चाहिए। सनातन धर्म के सिद्धांत केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत बन सकते हैं।
—-मनोज कुमार शर्मा