(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन।श्रीराधा कृष्ण प्रेम संस्थान के द्वारा ठाकुर श्रीराधा माधव भगवान की कृपा एवं निकुंजवासी भक्तिमती पद्मा बाई बुआजी की पावन स्मृति में चल रहे ग्यारहवें सप्त दिवसीय ब्रज चौरासी कोस दर्शन यात्रा महोत्सव के चौथे दिन देश-विदेश से आए सैकड़ों भक्तों-श्रद्धालुओं ने आचार्य विपिन बापू महाराज के सानिध्य में प्राचीन मघेरे वाले हनुमान मंदिर, बहुलवान (बाटी), श्रीराधा रानी की ननिहाल (मुखराई), मुखरा देवी मन्दिर, सप्त कोसी गिरिराज परिक्रमा, चन्द्र सरोवर, सूरदासजी की तपोस्थली, श्याम ढाक, निंबार्काचार्य भगवान की तपोस्थली, नीमगांम एवं गरुण गोविंद मन्दिर आदि स्थानों के दर्शन किए।इसके अलावा गिरिराज शिला का पंचामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य-पूजन अर्चन किया।
संयोजक व प्रख्यात भागवताचार्य विपिन बापू महाराज ने सभी भक्तों-श्रद्धालुओं को ब्रज भूमि की महिमा बताते हुए कहा कि चौरासी कोस में फैले संपूर्ण ब्रज मंडल का उद्भव श्रीराधा रानी की इच्छा से भगवान श्रीकृष्ण के हृदय से हुआ है।इसीलिए इस दिव्य भूमि को श्रीराधा-कृष्ण का ही स्वरूप माना गया है।इसकी परिक्रमा व उपासना करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
ब्रज 84 कोस दर्शन यात्रा में श्रीमती उर्मिला-मदन लाल सिंघल (काठमांडू), श्रीमती नीता देवी सिंघल, श्रीमती पूर्णिमा देवी दासी (वृन्दावन), श्रीमती ममता शर्मा, श्रीमती प्रेम सुधा भदौरिया, श्रीमती पूजा शर्मा (कोलकाता), श्रीमती गीता भरतिया, श्रीमती रेणुका-मनमोहन अग्रवाल (वाराणसी), श्रीमती सब्बू-सचिन अवस्थी (फर्रुखाबाद), श्रीमती शारदा देवी-गोविन्द राम सरिया (विराटनगर), श्रीमती गोरज देवी-पुरुषोत्तम लाल सर्राबगी (सिलीगुड़ी), श्रीमती पार्वती देवी अग्रवाल (सिक्किम), श्रीमती विजय-कृष्णराव सूद (लुधियाना), श्रीमती ऊषा रानी सूद, श्रीमती शशि सूद (जालंधर), श्रीमती रजिंद्र सूद (अंबाला), श्रीमती राजरानी सूद आदि की उपस्थिति विशेष रही।