भारत विविधताओं का देश है, और इसकी पहचान इसकी भाषाओं और संस्कृतियों से है। इस पहचान में हिंदी का विशेष स्थान है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। इसे देश की रीढ़ कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
हिंदी देश के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने वाली कड़ी है। यह भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और 22 राज्यों में इसे समझा और बोला जाता है। हिंदी ने देश की भाषाई विविधता में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, साहित्य और परंपराओं का भंडार है। तुलसीदास, कबीर, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा जैसे साहित्यकारों ने हिंदी के माध्यम से समाज को जागरूक किया और एक नई दिशा प्रदान की। हिंदी साहित्य ने स्वतंत्रता संग्राम में भी जनमानस को प्रेरित करने का काम किया।
आज हिंदी सिर्फ साहित्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापार, मीडिया, सिनेमा और संचार की भाषा भी बन गई है। हिंदी फिल्म उद्योग और समाचार माध्यमों ने इसे वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई है। साथ ही, इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग ने हिंदी को नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हिंदी शिक्षा का माध्यम बन रही है। इसके माध्यम से न केवल शिक्षा को सरल बनाया जा रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
हालांकि, अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के कारण हिंदी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग इसे कमतर मानते हैं, जो एक गलत धारणा है। हमें हिंदी को आधुनिक तकनीक और विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि यह हर क्षेत्र में अपनी जगह बना सके।
हिंदी भारत की आत्मा और इसकी रीढ़ है। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय पहचान का आधार है। इसे संरक्षित करना और इसके प्रचार-प्रसार के लिए प्रयास करना हर भारतीय का कर्तव्य है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम ऐसी भाषा के संरक्षक हैं, जिसने सदियों से भारत को जोड़ने का काम किया है।
-सुनामिका शर्मा TGTहिंदी(M.A B.Ed)
पार्वती राधाकिशन फोमरा स्कूल मथुरा