भारत-भूटान के मध्य अमिट हैं सांस्कृतिक रिश्ते

वृन्दावन धाम में गूंजे भूटान के सांस्कृतिक स्वर..….

गीता शोध संस्थान में ‘पन्नाई यादों का कल्पतरु : भूटान’ पुस्तक का लोकार्पण

‘शिवशंकर शर्मा’
वृंदावन। गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी खवृंदावन के सभागार में सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ. शुभदा पाण्डेय की कृति ‘पन्नाई यादों का कल्पतरु : भूटान’ का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक भारत-भूटान के सांस्कृतिक संबंधों पर केन्द्रित है, जिसमें लेखिका ने अपने व्यक्तिगत यात्रा अनुभवों और सांस्कृतिक शोध को कलात्मक भाषा में प्रस्तुत किया है।
अध्यक्षता शिक्षाविद् एवं संस्थापक कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार शर्मा ने की। मंच पर ब्रज लोक कला केन्द्र के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश गोयल, केन्द्र के सचिव दीपक गोयल, सुप्रसिद्ध भजन गायक विहारी शरण जी महाराज, अवकाश प्राप्त डीआईओएस डा. एस.पी. गोस्वामी, विदेश मंत्रालय में अवर सचिव रह चुके श्री महेश चंद्र शर्मा ने विचार व्यक्त किए।
गीता शोध संस्थान के निर्देशक दिनेश खन्ना व ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद शर्मा और मंचस्थ अतिथियों ने लेखिका डा सुभदा पाडेय और आरसीए महाविद्यालय की प्राचार्य डा प्रीति जौहरी को सम्मानित किया।
लेखिका डॉ. शुभदा पाण्डेय ने कहा कि यह पुस्तक भूटान की संस्कृति, साहित्य, त्यौहारों और परंपराओं को आत्मीय दृष्टि से प्रस्तुत करती है। भूटान की की शांति व लोक-संस्कारों के अनुभव कल्पतरु की तरह बिखरे हैं। भूटान न केवल भारत का पड़ोसी देश है, बल्कि आत्मिक और सांस्कृतिक निकटता का प्रतीक भी है। दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्ते शिक्षा केन्द्रों तक फैले हैं।
मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार शर्मा ने लेखिका के सांस्कृतिक दृष्टिकोण और भूटान की यात्राओं को विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि “शुभदा जी ने भूटान जैसे शांतिप्रिय और आध्यात्मिक राष्ट्र की यात्रा करके वहां की संस्कृति को जिस सूक्ष्मता से आत्मसात किया और फिर साहित्यिक रूप में प्रस्तुत किया, वह अनुकरणीय है। यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत-भूटान संबंधों की एक जीवंत झांकी प्रस्तुत करती है।”
इस अवसर पर भागवत वक्ता मोहनी कृष्ण दासी ने भारत-भूटान के आध्यात्मिक संबंधों एवं वृंदावन की महिमा पर आधारित एक मार्मिक कविता का पाठ किया। उन्होंने कहा कि वृंदावन में गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी द्वारा गीता का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसके द्वारा रासलीला संरक्षण के प्रयास से इस परंपरा को निश्चित ही नवजीवन मिलेगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। वंदना और बांसुरी वादन की मधुर प्रस्तुति भी दी गयी। संचालन गीता शोध संस्थान के कोर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने किया।
विगत में गीता शोध संस्थान वृंदावन के आयोजनों में योगदान व सहयोग देने वालों में प्रमुख रूप से साहित्यकार डा. अनीता चौधरी, ब्रज भाषा के कवि अशोक अज्ञ, कलाकार विनय गोस्वामी, श्रीमती मोहिनी कृष्ण दासी, पूर्व डीआईओएस डा. एस.पी. गोस्वामी आदि को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गये।
कार्यक्रम में आरसीए कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या डा. प्रीति जौहरी, प्राचार्य डा देव प्रकाश शर्मा, रासाचार्य घनश्याम शर्मा एवं रितु सिंह आदि साहित्य, कला और अध्यात्म जगत के विद्वान उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित साहित्य व सांस्कृतिक जगत के लोगों ने लेखिका को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि ये पुस्तक भारत-भूटान सांस्कृतिक रिश्तों को और प्रगाढ़ करने में मील का पत्थर सिद्ध होगी।

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