नाट्य प्रस्तुति श्रीकृष्ण के परम भक्त रसखान के जीवन एवं उनकी अनन्य भक्ति पर आधारित
वृन्दावन (शिवशंकर शर्मा)। गीता शोध संस्थान, वृन्दावन के प्रशिक्षुओं ने संगीतमय नया नाट्य ‘रसखान के बोल’ तैयार किया है। इस भावपूर्ण नाट्य–संगीत प्रस्तुति के मंचन की तैयारी की जा रही है। यह नाट्य प्रस्तुति भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त रसखान के जीवन एवं उनकी अनन्य भक्ति पर आधारित है।
इस नाट्य मंचन का रिहर्सल गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के सभागार में प्रशिक्षकों द्वारा कराया जा रहा है। इस नाट्य मंचन की परिकल्पना एवं निर्देशन संस्थान के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना द्वारा किया गया है। इस नाट्य मंचन का संयोजन व समन्वयन चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार का है।
इस नाट्य को भावपूर्ण ढंग से इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि रसखान तुर्की से आकर वृन्दावन में श्रीकृष्ण की अनन्य भक्ति में लीन हो जाते हैं। उन्होंने अमर पदों की रचना कर अपने कृष्ण–प्रेम को अभिव्यक्त किया। यह मंचन रसखान के जीवन के आध्यात्मिक परिवर्तन, वैराग्य एवं ब्रज–भक्ति पर केंद्रित है।
संगीत एवं वाद्य संयोजन में आकाश शर्मा हारमोनियम एवं गायन पर, मनमोहन कौशिक सारंगी पर, दीनानाथ बांसुरी पर तथा सुनील पाठक तबला पर संगत दे रहे हैं। वस्त्र विन्यास रितु सिंह द्वारा किया गया है।
इस नाट्य मंचन में देश के विभिन्न स्थानों से आये वे बच्चे भाग ले रहे हैं जो वृंदावन में कर्मकांड भागवत कथा सीखने को रह रहे हैं। इनमें यश तिवारी (सीहोर), भगवत शर्मा (नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश), विशंभर दयाल शुक्ला (सीतापुर), हेमंत शर्मा (विदिशा, मध्य प्रदेश), प्रतीक शर्मा (बरेली), सुमित (गोधूलिपुरम, वृन्दावन), मनु शर्मा (चामुंडा, वृन्दावन), योगेंद्र दीक्षित (नर्मदापुरम/वृन्दावन), हर्षित शुक्ला (सीतापुर), रविकांत पांडे (चित्रकूट), अनंत अवस्थी (रायबरेली), नवनीत कुमार पांडे (झारखंड) तथा प्रिया (वृन्दावन) इस मंचन में अलग अलग भूमिका निभा रहे हैं।





