

चित्र परिचयः संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ताओं का स्वागत करतीं डा. सरस्वती घोष।
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय और श्री अरबिंदो सोसाइटी के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला “अपनी आंतरिक शक्ति की खोज के लिए एक आंतरिक यात्रा – मेरा भविष्य, मेरा प्रयास” विषय पर आयोजित की गई। कार्यशाला में विद्यार्थियों को आत्म-खोज की एक अनूठी यात्रा का अनुभव कराया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत छात्रा वंशिका द्वारा गाई गई देवी सरस्वती की प्रार्थना से हुई। कार्यशाला में अरविंदो सोसाइटी से जुड़े विशेषज्ञ वक्ता कीर्ति अधिकारी एवं श्रीमती अनिता बंसल ने विद्यार्थियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए महान कवि सोहन लाल द्विवेदी की कविता, कविता “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” का पाठ कर दृढ़ता और आंतरिक शक्ति को अपनाने के लिए प्रेरित किया। विशेषज्ञ वक्ताओं ने विद्यार्थियों को आत्म-चिंतन और आत्म-अन्वेषण के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें यह पूछने के लिए प्रेरित किया: “मैं कौन हूँ?” छात्रों ने साहसपूर्वक अपनी कमजोरियों जैसे मंच का डर, अति-विचार, टालमटोल, भावनात्मक संवेदनशीलता और दूसरों पर बहुत आसानी से भरोसा करने के साथ-साथ अपनी खूबियों जैसे लचीलापन, रचनात्मकता और करुणा को भी साझा किया। इस ईमानदार आदान-प्रदान ने उन्हें संतुलन और आत्म-जागरूकता के महत्व को पहचानने में मदद की। विभिन्न सत्रों में समूह चर्चा, मंत्र जप, मौन अभ्यास और चित्रकला के माध्यम से रचनात्मक अभिव्यक्ति का भी अवसर प्रदान किया गया। विशेषज्ञ वक्ताओं ने कक्षा में धैर्य और मौन की कला पर विशेष जोर दिया गया, जिससे आंतरिक शांति का विकास हुआ। दुर्गा स्तोत्र, श्री अरबिंदो के जीवन और भगवद गीता से अंतर्दृष्टि प्राप्त की गई, जिसमें साहस, आत्म-अनुशासन और कृतज्ञता को मार्गदर्शक मूल्यों के रूप में उजागर किया गया। इससे पूर्व डॉ. सरस्वती घोष और संकाय सदस्यों द्वारा विशेषज्ञ वक्ताओं का अभिनंदन किया गया।
कार्यशाला के सत्रों का संचालन सुश्री रिया वर्धन सक्सैना और देवांशु सक्सैना ने किया और इसमें बी.ए. बी.एड. और बी.एससी. बी.एड. के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।