सतीश पाण्डेय
औरैया, चार दिन से हो रही लगातार वारिश से किसानो का दम निकल रहा है, पकी हुईं धान बाजरा खेतों में सड़ने लगा बाजरे की बाली में लगे दानो में कल्ले निकाल आये,तो धान के दानो में भी किल्ली आ गयी, सरसों भी न बो पायी और आलू बह गये या रखने को रह गये, पानी ने किसानों को मार ही डाला, तेज हवाओ से धानी खेतों में गिर गयी थी और लगातार पानी बरस रहा चार दिन में धान की बाल में किल्ले आ गये वही बाजरा भीगने से वाली में ही सड़ने लगा या जम आया, क्या करें किसान कहाँ जाय किससे कहें, हाँ कहने को सरकार है तो किसानों ने सरकार से मांग की है कि बरसात से जो फसले चौपट हुईं है उनका आकलन कराकर मुवाब्ज़ा दिया जाय, जिससे किसान ने बैंक या साहूकारों से लिए ऋण का कुछ भुगतान किया जा सके, धान की फसल से किसानों को आस थी कि घर में बैठी बेटी की शादी, बाहर पढ़ रहे बच्चों की फीस चुका दूंगा शेष से गेंहूँ की बुबाई कर लूंगा, सारे सपने, सपने बन कर रह गये, अतः किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि बर्वाद हुईं फसल का आकलन कराकर उचित मुवाब्ज़ा दिया जाय,






