स्व चरण सिंह अचानक प्रधानमंत्री कैसे बने



चंद्र प्रताप सिकरवार, पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारी उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषचौधरी चरण सिंह की आज (23 दिसम्बर) जयंती है। 28 जुलाई 1979 को वह अचानक प्रधानमंत्री बने थे। तत्कालीन राष्ट्रपति स्व नीलम संजीव रेड्डी ने उन्हें शपथ दिलाई थी।
जैसा कि ये माना जाता है नीम करोरी बाबा  हनुमान जी के अवतार थे। वर्ष 1962 में बाबा हनुमान जी का मंदिर और आश्रम बनाने के लिए अपने घर से निकल पड़े थे। वह नैनीताल के कैंची गांव जा पहुंचे। कैंची के पहाड़ पूर्व में संतों की तपोस्थली थे।
नीम करोरी बाबा ने हनुमान जी से ही जमीन की व्यवस्था कराने की प्रार्थना की। इस बीच बाबा को हनुमान जी से  आभास हुआ कि —मंदिर की जमीन के लिए वह चौधरी चरण सिंह से मिलें। स्व चरण सिंह उस वक्त सुचेता मजूमदार (कृपलानी) के मुख्यमंत्रित्व काल में  वन एवं कृषि मंत्री थे। (अंबाला में पढीं सुचेता मूलतः बंगालिन थीं और यूपी की मुख्यमंत्री बनी थीं)
वन विभाग की जमीन देने में आज की तरह उस वक्त भी काफी कानूनी बंदिशें थीं, लेकिन तत्कालीन वन मंत्री स्व चरण सिंह को आश्रम के लिए जमीन देने में  तनिक भी अड़चन नहीं आई। बाबा ने आश्रम और हनुमान जी का मंदिर बनाने के लिए जितनी जमीन मांगी थी, उन्हें वन विभाग की उतनी ही जमीन दे दी। ये हनुमान जी का ही चमत्कार था।
उसी जमीन में आज कैंची धाम का भव्य आश्रम और मंदिर है। वहां बडा मेला लगता है और लाखों भक्त प्रति वर्ष हनुमान जी और नीम करोरी बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं।बाबा का एक आश्रम वृंदावन परिक्रमा मार्ग में भी है।
कैंची धाम में मंदिर और आश्रम जब बन रहा था तब एक दिन बाबा नीम करोरी ने स्व. चरण सिंह के बारे में कह दिया कि -‘ये चरण सिंह जिस सच्चाई और ईमानदारी से राजनीति कर करता है,  हनुमान जी इसे एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनवाएंगे’। स्व चरण सिंह ने उस वक्त बाबा की इस बात को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन  इस वाकिए के 16 साल बाद 28 जुलाई 1979 को बाबा के मुख से निकली वह बात सत्य साबित हुई।
बाबा अक्सर अपने भक्तों से कहते थे कि- ‘मैं कुछ नहीं कहता, मुझसे तो हनुमान जी जो कहलवाते हैं, वही मैं बोल देता हूं। दरअसल उस समय स्व चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का आशीर्वाद स्वयं हनुमान जी ने दिया था’।
संयोग देखिए, स्व चरण सिंह हनुमान जी ही क्या किसी देवता के मंदिर में दर्शन करने नहीं जाते थे। वह अपने घर पर आर्य समाज पद्धति से हवन जरूर करवाते थे। स्वामी दयानंद सरस्वती जी के प्रवचन सुनते थे। घर पर प्रसाद बांटते थे।
एक बार वृंदावन में स्व चरण सिंह जी की पार्टी का सम्मेलन हुआ था। पार्टी के सभी नेता बिहारी जी व अन्य मंदिरों के दर्शन करने गए लेकिन वे दर्शन करने नहीं गए। वह वृंदावन के गुरुकुल वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी लेने चले गये। इस गुरुकुल के लिए अपने बगीचे की जमीन राजा महेन्द्र प्रताप ने फर्रुखाबाद के आर्यसमाज के लोगों को दान दी थी।
वृंदावन के वरिष्ठ भाजपा नेता राधा कृष्ण पाठक के पिता स्व. बनवारी लाल पाठक नीम करोरी बाबा के परम शिष्य थे। बाबा ने स्व पाठक व अन्य भक्तों के समक्ष ही स्व चरण सिंह के प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी। आज भी तमाम शिष्य बाबा की भविष्यवाणियों के और उनके चमत्कारों के किस्से सुनाते हैं।

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