सनातन धर्म, जिसे हम हिंदू धर्म के नाम से भी जानते हैं, न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। यह धर्म केवल एक आस्था या पूजा-पद्धति नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक शैली है, जो मनुष्य को उसके वास्तविक कर्तव्यों और धर्म का बोध कराती है।
‘सनातन’ का अर्थ है ‘शाश्वत’ या ‘सदैव रहने वाला’। यह धर्म उन मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है जो समय, स्थान, और परिस्थितियों से परे हैं। इसका आधार वेद, उपनिषद, भगवद गीता, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ हैं, जो हमें जीवन की सही दिशा प्रदान करते हैं।
सनातन धर्म की सबसे बड़ी विशेषता इसकी व्यापकता और सहिष्णुता है। यह धर्म “वसुधैव कुटुंबकम्” यानी “सारा संसार एक परिवार है” के सिद्धांत को मानता है। इसके प्रमुख सिद्धांत हैं:
कर्तव्यों का पालन करना।
जीवन यापन के लिए साधन अर्जित करना।
इच्छाओं की पूर्ति करना।
आत्मा का परमात्मा से मिलन।
वैज्ञानिकता और प्रकृति के साथ समरसता
सनातन धर्म प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने का संदेश देता है। यह सूर्य, चंद्रमा, वायु, जल, पृथ्वी को देवता मानकर उनकी पूजा करता है। यह धर्म वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और तर्क-वितर्क को प्रोत्साहित करता है।
सनातन धर्म हमें मानवता और सेवा का पाठ पढ़ाता है। यह सिखाता है कि दूसरों की सेवा ही सच्चा धर्म है। इसके साथ ही यह हमें धर्म, जाति, भाषा, और क्षेत्र के भेदभाव से ऊपर उठकर कार्य करने की प्रेरणा देता है।
आज के संदर्भ में सनातन धर्म
आज के समय में, जब लोग भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं, सनातन धर्म हमें संतुलन बनाना सिखाता है। यह आत्मिक शांति और स्थायित्व प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है।
अतः, सनातन धर्म केवल एक धार्मिक पद्धति नहीं, बल्कि मानवता का प्रतीक है। यह हमें जीवन जीने की सही राह दिखाता है और हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने में सहायता करता है। आइए, हम सब मिलकर इसके सिद्धांतों को अपनाएं और एक बेहतर समाज का निर्माण करें।सनातन धर्म का संदेश अत्यंत गहन, व्यापक और सार्वभौमिक है। इसका उद्देश्य
सत्य को परम और धर्म को जीवन का आधार माना गया है। सत्य के मार्ग पर चलने से ही जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है।
पूरी पृथ्वी को एक परिवार मानने की शिक्षा दी गई है। यह सह-अस्तित्व, प्रेम और समभाव का प्रतीक है।
अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म कहा गया है। किसी भी प्राणी के प्रति हिंसा न करना, जीवन के प्रति करुणा का भाव रखना सनातन धर्म का मूल आधार है।
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” के अनुसार, हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।
आत्मा को पहचानने और ईश्वर से जुड़ने के लिए ध्यान, योग और साधना को आवश्यक बताया गया है।
सनातन धर्म में प्रकृति को देवता माना गया है और उसके साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की शिक्षा दी गई है।
मुक्ति का उद्देश्य: जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है, जो आत्मा की परम स्वतंत्रता और ईश्वर के साथ एकत्व को दर्शाता है।
सनातन धर्म न केवल धार्मिकता की शिक्षा देता है, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला भी है, जिसमें व्यक्ति, समाज और प्रकृति के साथ संतुलन बनाना मुख्य उद्देश्य है।
-मनोज कुमार शर्मा