संस्कृति विवि में एक कार्यक्रम के दौरान संविधान की रक्षा करने की शपथ लेते विद्यार्थी।
संस्कृति विवि की एनएसएस यूनिट ने संविधान के प्रति किया जागरूक
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना(एनएसएस) यूनिट ने संविधान दिवस पर संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया। इस मौके पर वक्ताओं ने संविधान में वर्णित कर्त्तव्यों का पालन करने और समाज के हितों में कार्य करने पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित संविधान दिवस पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ. नीलम कुमारी ने विशेष रूप से युवाओं की भूमिका पर जोर दिया, जो न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निबाहते हैं। उन्होंने बताया कि एनएसएस स्वयंसेवक संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करके समाज में सार्थक योगदान दे सकते हैं। डॉ. आदित्य ओझा, सहायक प्रोफेसर, विधि विभाग ने संविधान संविधान निर्माण की प्रक्रिया, डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका, मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य, लोकतांत्रिक भागीदारी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान के ऐतिहासिक महत्व से विद्यार्थियों को अवगत कराया।
इस अवसर छात्रों की रचनात्मक और बौद्धिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए क्विज़,निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। कार्यक्रम की शुरुआत में सभी एनएसएस स्वयंसेवकों, फैकल्टी सदस्यों और कर्मचारियों द्वारा संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन से हुई। कुल 29 एनएसएस स्वयंसेवकों और 6 फैकल्टी सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उनकी सक्रिय सहभागिता ने लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक जिम्मेदारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया। विभिन्न कार्यक्रमों का समन्वयक संस्कृति नर्सिंग स्कूल के प्राचार्य डॉ. के. के. पराशर ने किया, जिन्होंने दैनिक जीवन में संवैधानिक मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान में निहित मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और मार्गदर्शक मूल्यों के बारे में विद्यार्थियों को बताया और सक्रिय नागरिकता, उत्तरदायित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित किया। अंत में सभी प्रतिभागियों ने संविधान की रक्षा करने और राष्ट्र-निर्माण में योगदान देने की राष्ट्रीय प्रतिज्ञा ली।





