रायबरेली ब्यूरो धीरेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट
ऊंचाहार , रायबरेली । क्षेत्र के गांव कोल्हौर मजरे पट्टी रहस कैथवल में चल रही शिव महापुराण कथा में गुरुवार को कथावाचक आचार्य सत्यांशु जी महराज ने हनुमान जी के जन्म की कथा सुनाई और कहा कि भगवान शिव के रुद्र अवतार हनुमान जी समस्त जगत के कल्याण के लिए अवतरित हुए है।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से आकर्षित होकर कामदेव की माया में आगए ,जिसे भगवान शिव ने अपना वीर्यपात कर दिया। इस वीर्य को नग नामक मुनि ने शिवजी के संकेत से इस इच्छा से रखा कि उसके द्वारा श्री रामचंद्र जी का कार्य पूर्ण होगा। इस वीर्यपात को एक पत्ते पर रखकर, सप्त ऋषियों द्वारा माता अंजनी के कान के जरिए, उनके गर्भ तक पहुंचाया गया। इसके बाद, माता अंजनी गर्भवती हुईं और उन्होंने हनुमान जी को जन्म दिया, जो बचपन से ही बहुत बलवान,बुद्धिवान और ताकतवर थे। उन्होंने कहा कि भगवान शिव द्वारा हनुमान का वानर रूप में जन्म लेने का मुख्य कारण था। रावण द्वारा भगवान शिव के परम भक्त नंदी का अपमान.ऐसी मान्यता है कि लंकापति रावण, भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और रावण को उनसे अमर होने का वरदान भी प्राप्त था।
कथावाचक ने बताया कि एक समय की बात है जब रावण ने भगवान शिव की पूर्ण रूप से भक्ति करने के बाद सोचा कि महादेव को उसके साथ लंका में ही रहना चाहिए। महादेव की सेवा का भाव मन में लेकर वह महादेव से मिलने गया। कैलाश के द्वार पर नंदी को देख रावण ने महादेव के साथ नंदी को भी लंका ले जाने का सोचा। उसी समय नंदी ने रावण से पूछा कि रावण इतना स्वार्थी कैसे हो सकता है। यदि रावण भगवान शिव को अपने साथ ले जाएगा, तो माता पार्वती और भगवान शिव के भक्त उनके बिना कैसे रहेंगे। नंदी की बातें सुनकर, रावण को उस पर अत्यधिक क्रोध आ गया। उसने नंदी के बैल रूप को अपमानित किया और उन्हें बंदर जैसा दिखने वाला कहा.बस फिर क्या था, रावण द्वारा अपना अपमान सुन, नंदी अपने आपे से बाहर हो गए और उन्होंने रावण को श्राप दे दिया कि रावण का साम्राज्य जल्द ही अस्त-व्यस्त हो जाएगा और ऐसा करने वाला और कोई नहीं, बल्कि एक वानर यानी एक बंदर होगा। इतना ही नहीं, नंदी के श्राप के अनुसार रावण की मृत्यु का कारण भी, एक वानर ही था। मान्यता है कि नंदी के इसी श्राप के कारण, शिव जी ने हनुमान रूप में जन्म लिया और अपनी पूंछ से रावण की लंका जला दी। इसी के साथ, नंदी का श्राप भी पूरा हुआ और शिव जी के हनुमान रूप द्वारा, राम जी के दास होने का कार्य भी पूर्ण हो गया। इस मौके पर आयोजक राजा चौरसिया व मुंबई से आए विशिष्ट आचार्य लाल बाबू विशेष रूप से मौजूद थे , इनके अलावा गंगा प्रसाद, सचिन चौरसिया, हरिशरण सिंह, दिनेश यादव, राघव, अंकित, चंद्रिका प्रसाद, ललित कुमार, रमेश आदि श्रोतागण उपस्थित रहे





