महाकुंभ भारत के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में से एक पर आयोजित होता है। 2024 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज (प्राचीन इलाहाबाद) में होने वाला है। यह आयोजन जनवरी से मार्च के बीच होगा, जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे।
महाकुंभ की पौराणिकता समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है। माना जाता है कि अमृत कुंभ की कुछ बूंदें प्रयागराज सहित चार स्थानों पर गिरी थीं। इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। प्रयागराज को इस आयोजन के लिए विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि इसे तीर्थराज कहा जाता है। मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी और महाशिवरात्रि जैसे विशेष स्नान पर्वों पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करेंगे।
विभिन्न संत-महात्माओं और अखाड़ों की भव्य शोभायात्राएं देखने लायक होती हैं।
इस बार सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं, स्वच्छता अभियान, और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, शिल्प मेले और प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को प्रदर्शित करती है।
प्रयागराज भारतीय सभ्यता का केंद्र माना जाता है। यहां पर त्रिवेणी संगम का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। महाकुंभ के दौरान, यह शहर एक विशाल शिविर नगरी में परिवर्तित हो जाता है, जहां दुनियाभर के साधु-संत और श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
महाकुंभ के लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर व्यवस्थाएं की हैं। नई सड़कों, रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट का विकास किया गया है। पर्यटकों की सुविधा के लिए डिजिटल सेवाएं और हेल्पडेस्क भी स्थापित किए गए हैं।
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं और सामूहिक आस्था का प्रतीक भी है। इस बार का महाकुंभ निसंदेह एक अभूतपूर्व अनुभव होगा।
—-मनोज कुमार शर्मा