प्राणघातक वायरस उत्पन्न करने वाले आरडीएफ युक्त कूड़े को जमीन में डम्प कर जीवों के स्वास्थ्य से कौन कर रहा खिलवाड़ ?

मथुरा। किसी भी जीव के लिए बेहद खतरनाक आरडीएफ (अपशिष्ट व्युत्पन्न ईंधन) युक्त कूड़ा से जमुनापार (मथुरा) स्थित डंपिंग यार्ड के नजदीक के जलाशय को पाट दिया गया इसके अलावा इसी क्रम में आरडीएफ एवं कूड़ा को गलत तरीके से दिन और रात ट्रैक्टर-ट्रॉली एवं डंपरों द्वारा हाईवे के नजदीक के गड्ढे एवं क्षेत्र के खाली प्लाटों में डंप किया जा रहा है जिसमें कम्पनी और नगर निगम की मिलीभगत की संभावना हो सकती है क्योंकि इस डम्पिंग यार्ड में बिना परमीशन परिंदा भी पर नहीं मार सकता । बताया गया है कि यह डम्पिंग यार्ड सीसीटीवी से लैस भी है। जानकारी के अनुसार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कार्य दयाचरण एंड कंपनी को दिया गया था जो निर्धारित समय में कार्य पूर्ण नहीं कर पाई।
सूत्रों की मानें तो कम्पनी जिस कूड़े-कचरे का निस्तारण नहीं कर पाई उसको ठिकाने लगा कर इस कृत्य को छिपाने की हर सम्भव कोशिश की जा रही है। सूत्रों द्वारा जब इसकी जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि गोकुल बैराज के पास करीब 10 फीट गहरे गड्ढे को आरडीएफ युक्त मलवे के द्वारा रातों-रात भर दिया गया । थोड़ा दूरी पर पाया कि एक प्लॉट के पिछले हिस्से को तो पूरा आरडीएफ युक्त मलवे से पाट दिया गया है इसके तो साक्ष्य छिपाने की नीयत से अगले हिस्से को रोड़ी आदि डाल कर ढक दिया गया इसके अलावा एक ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क किनारे के एक प्लॉट को आरडीएफ युक्त कूड़े से पाटते हुए दिखा जब ट्रैक्टर चालक से बात की तो उसने बताया कि वह प्लॉट के भराव हेतु यह डंपिंग यार्ड से 300 रुपए प्रति ट्रॉली की कीमत पर ला रहा है और उसने बताया कि करीब 50 ट्रॉली यहाँ डाला जाना है। क्षेत्र में इस बात की चर्चा आम है कि डम्पिंग यार्ड से मलबा प्लॉटों की भराई के लिए काफी समय से बेचा जा रहा है और पिछले करीब एक वर्ष से तो अधिक बेचा जा रहा है । एक पूर्ववर्ती वैज्ञानिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस आरडीएफ युक्त मलबे को जलाशय और अन्य स्थानों पर इस प्रकार डाला जाना किसी भी जीव के लिए बेहद खतरनाक होता है जो प्राणघातक भी है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इस खतरे की जानकारी निगम को, कम्पनी को या जो भी इसे इस तरह डम्प करा रहे हैं,उनको नहीं है या वह जानबूझकर निजी लाभ के लिए जीवों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं ? यदि ऐसे ही सब चलता रहा तो जीवों में भयंकर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार जिन्हें डम्पिंग यार्ड का प्रभारी बताया जा रहा है का इस मामले पर कहना है कि डम्पिंग यार्ड का ‘कूड़ा’ हमारे द्वारा नहीं फिकवाया गया है नियम व सरकारी कीमतों के हिसाब से कूड़ा बेचा जाता है । ज्ञात रहे इन्हीं अपर नगर आयुक्त पर पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप भी लग चुके हैं। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय गोपनीय और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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