आईसीएआर-सीआरआईडीए हैदराबाद के निदेशक का के0वी0के0 प्रतापगढ़ दौरा, छाछामऊ गाँव के किसानों से सीधी हुई बातचीत

पंकज तिवारी ब्यूरो चीफ CNI 18 NEWS

कालाकांकर -प्रतापगढ़। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत केंद्रीय बरानी कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के निदेशक डॉ. वी. के. सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र, कालाकांकर, प्रतापगढ़ का दौरा किया। अपने दौरे के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय नवाचार जलवायु सहनशील कृषि (NICRA) परियोजना की प्रगति का मूल्यांकन किया तथा परियोजना के अंतर्गत चयनित गॉव छाछामऊ, बलियापुर एवं ऐंठू का भी सघन निरीक्षण कर किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया।निदेशक महोदय के आगमन पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. नवीन कुमार सिंह तथा वैज्ञानिकों सहित समसत स्टाफ ने औपचारिक स्वागत किया। स्वागत उपरांत निदेशक महोदय को केंद्र परिसर का भ्रमण कराया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसके बाद विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया।इस अवसर पर डॉ. वी. के. सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संचालित निकरा परियोजना की उपलब्धियों पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह परियोजना जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में किसानों के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने परियोजना अंतर्गत अब तक किए गए कार्यों जैसे-ऊसर अवरोधी प्रजातियों व तकनीकियों, फसल अवषेष प्रबन्धन, हरी खाद, जिप्सम का प्रयोग, जल प्रबन्धन एवं संरक्षण, फसल विविधिकरण, पशुपालन प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य सुधार, वर्षा आधारित खेती आदि की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने इस परियोजना को और अधिक प्रभावशाली बनाने हेतु वैज्ञानिकों को निर्देष व सुझाव दिये और किसानों को खेती के साथ-साथ पषुपालन तथा मषरूम उत्पादन को अपनाने के लिए प्रेरित किया। परियोजना क्षेत्र का अवलोकन करने के बाद निदेशक महोदय ने छाछामऊ गाँव का भ्रमण किया। इस अवसर पर गाँव के किसानों ने परियोजना से हुए लाभों को साझा किया। किसानों ने बताया कि परियोजना से उन्हें खेती की नई तकनीकों की जानकारी मिली, जिससे उनकी पैदावार में सुधार हुआ है। साथ ही उसरीले खेत व जलवायु परिवर्तन जैसी अनिश्चित परिस्थितियों से निपटने में भी मदद मिली है।डॉ. वी. के. सिंह ने ग्राम स्तरीय जलवायु जोखिम प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ बैठक की। बैठक में परियोजना की प्रगति, अब तक की उपलब्धियाँ तथा भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई। निदेशक महोदय ने कहा कि जलवायु-अनुकूल तकनीकों को और अधिक किसानों तक पहुँचाना ही इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में किसानों के प्रशिक्षण, तकनीकी हस्तांतरण तथा क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान पर विशेष बल दिया जाएगा।कार्यक्रम के अंत में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रसार वैज्ञानिक डा0 अवधेश कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने निदेशक महोदय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन से केंद्र की गतिविधियों को और अधिक गति एवं दिशा प्राप्त होगी। साथ ही सभी वैज्ञानिकों, कर्मचारियों तथा किसानों का भी धन्यवाद दिया।धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों के लिए सामूहिक भोज का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों एवं वैज्ञानिकों ने एक साथ भोजन कर आपसी संवाद को और प्रगाढ़ बनाया।इस अवसर पर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के प्रधान वैज्ञानिक डा0 मनोज त्रिपाठी, के0वी0के0 कौशम्बी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड डा0 अजय श्रीवास्तव, आष कुमार श्रीवास्तव कृषि विज्ञान केंद्र प्रतापगढ़ के प्रभारी डॉ. नवीन कुमार सिंह, श्रीमती स्वाती दीपक दुबे, डा0 अवधेश कुमार सिंह, श्री महेन्द्र प्रताप सिंह, डा0 प्रसेनजीत देबनाथ, डा0 रणजीत सिंह, सुधीर कुमार, विनोद चौरसिया, रामचन्द्र, जुगुल किशोर, जी0 आर0 पटेल, रविशंकर, अरूण शुक्ला किसान रोशन लाल, रामेन्द्र कुमार, ि़त्रभुवन यादव, विमल मिश्रा, शिव प्रकाश, हरिशंकर, हरिश्चन्द्र, ओमप्रकाश, शिवशरन मिश्र, रवि शंकर मंजू देवी, सुमन, दशरथ इत्यादि मौजूद रहे।

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