प्रयागराज कुंभ मेला 2025: अपार भीड़ और सनातन धर्म के प्रति आस्था की मिसाल

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में इस वर्ष का कुंभ मेला एक ऐतिहासिक दृश्य बन गया, जहाँ करोड़ों श्रद्धालुओं, साधू सन्यासियों,उधोगपतियों, राजनेताओं और आम जनता ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपनी आस्था का परिचय दिया। इस बार कुंभ मेला न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बल्कि विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी खास रहा।
कुंभ मेला के पहले शाही स्नान में अपार भीड़ ने मेला क्षेत्र को जीवंत बना दिया। संगम तट पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी थीं और हर कोई भगवान गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम में स्नान करके पुण्य की प्राप्ति का अहसास कर रहा था।
उधोगपति और राजनेताओं के साथ ही साधारण लोग भी एक साथ कुम्भ के आयोजन में सम्मिलित हुए, जो इस आयोजन की विशालता और सनातन धर्म के प्रति जनसाधारण की गहरी आस्था को प्रदर्शित करता है। श्रद्धालुओं का कहना था कि कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है, जहां विभिन्न धर्म, जाति, वर्ग और पंथ के लोग एक साथ मिलकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं ने भी इस पावन अवसर पर कुंभ मेला का दौरा किया और श्रद्धालुओं के साथ संगम में स्नान किया। इस दौरान उन्होंने सनातन धर्म की महिमा का प्रचार किया और समाज में शांति, भाईचारे और सद्भावना की कामना की।
कुंभ मेला न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक बड़े सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक मिलन का प्रतीक भी है, जहां सभी समुदायों के लोग मिलकर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को एक नई दिशा देते हैं।
इस बार का कुंभ मेला एक ऐसा उदाहरण बनकर उभरा है, जो दिखाता है कि सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था आज भी अत्यंत मजबूत और जीवित है।
-मनोज कुमार शर्मा

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