तन की यात्रा विश्राम हुई, मन के विचारों की यात्रा जारी रहेगी


बागेश्वर महाराज ने कहा संतति और संपत्ति बचाने एक जुट रहे
10 दिवसीय सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का बांके बिहारी के मिलन के साथ हुआ विश्राम


मथुरा। दुनिया भर के हिंदुओं को एकजुट करने का संकल्प लेकर बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 10 दिवसीय सनातन हिंदू एकता पदयात्रा निकाली। 7 नवंबर से दिल्ली से शुरू हुई यात्रा का रविवार 16 नवंबर बांके बिहारी के मिलन के साथ विराम हुआ। बागेश्वर महाराज ने कहा कि यह यात्रा तन से भले ही पूरी हो गई हो लेकिन मन के विचारों की यात्रा जारी रहनी चाहिए। पदयात्रा में सभी लोग इसलिए साथ चले ताकि संतति और संपत्ति बची रहे, भारत में दंगा नहीं गंगा की जय बोले। बागेश्वर महाराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं यह कहने की जरूरत नहीं पड़ना चाहिए। बच्चों को कट्टर सनातनी बनाएं। हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है। यात्रा ने विरोधियों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है। यात्रा एकता और समर्पण का संदेश देने में सफल हुई है। महाराज श्री ने कहा कि न तो हमें हिंदू हृदय सम्राट बनना है और न ही हमें किसी पार्टी को बनाकर राजनीति करना है, हम सिर्फ सनातन के सिपाही हैं और यही बनकर रहना है। महाराज श्री ने कहा कि हिंदू अपना दर छोड़कर बाहर निकले इसीलिए यह यात्रा की है। सवाल यह है कि यह यात्रा शोभायात्रा और कलश यात्रा बनकर न रह जाए। सभी लोग एकजुट बने रहेंगे तो विधर्मी हिंदुओं पर अत्याचार करने से घबराएंगे। उन्होंने कहा कि कई सैनिक छुट्टी लेकर यात्रा में शामिल हुए हैं जब उनसे पूछा गया तो सैनिकों ने कहा कि यह यात्रा बहुत जरूरी है। बागेश्वर महाराज ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य महाराज के गौरी गोपाल आश्रम की ओर से भोजन प्रसाद की व्यवस्था रही। उन्होंने सबका आभार जताया।


महाराज श्री ने दिलवाए पांच प्रण

बागेश्वर महाराज ने सभी पद यात्रियों को पांच प्रण दिलवाए। पहला प्रण जुड़ो और जोड़ो यानी लोगों से सतत संपर्क बनाएं और दूसरे लोगों को जोड़ें। दूसरा संकल्प भगवा अभियान, अपने घर के साथ-साथ आसपास भी लोग अपने घरों में भगवा ध्वज लगाएं। तीसरा प्रण साधु संतों का कमंडल और बागेश्वर धाम का सुंदरकांड मंडल, यानि कि गांव गांव सुंदरकांड मंडलों के माध्यम से धर्म की गंगा बहे। चौथा प्रण घर वापसी अभियान है, जो भी व्यक्ति किसी कारण से हिंदू धर्म छोड़कर चले गए उन्हें वापस हिंदू धर्म में लाना। पांचवा अपने देश के तीर्थ और उनके आसपास के क्षेत्र में मांस मदिरा की दुकान बंद करवाने में अपना योगदान दें।
ब्रजभूमि को प्रणाम करते ही भावुक हुए महाराज, सजल हुए नेत्र
बागेश्वर महाराज जैसे ही यात्रा के साथ वृंदावन की सीमा गरुड़ माधव के पास पहुंचे वैसे ही उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम करते हुए वृंदावन की रज माथे पर लगाई। ब्रज भूमि को प्रणाम करते ही महाराज श्री भाव कोट उनकी आंखें सजल हो गई। उन्होंने कहा कि यह वह रज है जहां भगवान कृष्ण ने गायें चराई। इस पवित्र रज की कृपा से लोगों के भाव में परिवर्तन आएगा। बागेश्वर महाराज के साथ कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर, इंद्रेश उपाध्याय एवं पुंडरीक गोस्वामी जी ने भी ब्रज रज को प्रणाम किया।
यात्रा ने सबका दंभ तोड़ दिया: जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर
बागेश्वर महाराज के गुरु तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य रामभद्राचार्य महाराज की पावन उपस्थिति में 10 दिवसीय यात्रा का विराम हुआ। उन्होंने बागेश्वर महाराज को अपने हृदय से लगाया। दृश्य ऐसा था जैसे एक अबोध बालक को मां अपनी गोद में लेकर उस पर स्नेह लुटाती हो। आयोजित धर्म सभा की अध्यक्षता कर रहे तुलसी पीठाधीश्वर महाराज श्री ने कहा कि यह हिंदू एकता महाकुंभ का आयोजन हुआ है। यात्रा ने सबका दंभ तोड़ दिया। पदयात्रा का विश्राम हुआ है लेकिन सबके भीतर यात्रा का उद्देश्य जीवित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू सो रहा है इसीलिए विधर्मियों के अत्याचार हो रहे हैं । अब ओम शांति नहीं ओम क्रांति कहना सीखें। महाराज श्री ने कहा कि सभी संत अपने मत मतांतर भुलाकर एक हों , उपासना अपनी करते रहे लेकिन भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए एक हो जाए।
मप्र के मुख्यमंत्री ने सड़क पर किया लोगों के साथ भोजन
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में शामिल होने आए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यात्रा के बीच में सड़क पर ही बुजुर्गों के साथ भोजन किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा अद्भुत है। यात्रा से समर्पण की भावना बलवती होती है। देश के कोने-कोने से यात्रा में शामिल होने आए सभी यात्रियों को मैं नमन करता हूं।
कथावाचकों और संतों ने दिए आशीर्वचन
सनातन एकता पदयात्रा विश्राम के समय जहां कथा वाचकों ने अपने वचनों से सभी पदयात्रियों को आशीर्वाद दिए वही संतों ने भी मंगल कृपा की। पूज्य बालक योगेश्वर दास महाराज, गीता मनीषी जी, देवकीनंदन ठाकुर महाराज, पुंडरीक गोस्वामी इंद्रेश उपाध्याय अनिरुद्ध आचार्य महाराज राजू दास महाराज आर के पांडे मृदुल कांत शास्त्री जी सहित अन्य संतों एवं कथा वाचको ने अपने आशीर्वचनों से पद यात्रियों को अभिभूत किया।

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