- (डॉ.प०नरेंद्र चतुर्वेदी-मनोरोग चिकित्सक ,अध्यात्मिक गुरु – विश्व ज्योतिष रत्न-(गोल्ड मैडल ) व।स्तु व रेमेडी एक्सपर्ट, संस्थापक एवम राष्ट्रीय अध्यक्ष-उपाय – दिल्ली(भारत), फो०-9811035358)
 
डॉ.पं नरेंद्र चतुर्वेदी, विश्व ज्योतिषी और आध्यात्मिक गुरु ने देव दीपावली के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि – दुनिया में वहुत लोग इस दिन के वारे में नही जानते हैं।दीपावली की तरह ही ये देवताओं की दीपावली का दिन है। इस दिन बहुत छोटी सी पूजा के द्वारा कुल देवी-देवता ,इष्ट देवता के अलावा अन्य छोटे देवताओं की भी कृपा प्राप्त की जा सकती है।
महत्व :
वर्ष भर आप चाहते हैं कि परेशानी से वचे रहें और उन्नति हो ,तो–कुलदेवता, कुल देवी एवं इष्टदेवता के अतिरिक्त अन्य देवताओं की पूजा भी वर्ष में किसी एक दिन करना तथा उनको भोग प्रसाद अर्पण करना आवश्यक होता है ।वर्ष भर में अगर आपको किसी देवता की पूजा करने का अवसर नही मिलता है ,तो यह इस दिन किया जाता है ।
देव दिवाली की तिथि और मुहूर्त :
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा 04 नवंबर को रात 10 बजकर 36 मिनट से लेकर 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगी, इसलिए देव दिवाली का पर्व बुधवार,05 नवंबर को मनाया जाएगा। देव दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त- प्रदोष काल-05 नवंबर को शाम 05:32 बजे से शाम 08:11 बजे तक।
पूजन :—
इस दिन अपने कुलदेवता तथा इष्टदेवता सहित, स्थानदेवता, वास्तुदेवता, ग्रामदेवता और गांव के अन्य मुख्य उपदेवता, महापुरुष, वेतोबा इत्यादि निम्नस्तरीय देवताओं की पूजा कर उनकी रुचि का प्रसाद पहुंचाने का कर्तव्य पूर्ण किया जाता है । भगवान को फूलों की माला पहनाएं और मिठाई, फल और शमी का फूल चढ़ाएं।भगवान विष्णु को केले का भोग लगाएं। शाम के समय घर के हर कोने में दीपक जलाएं दरवाजे, बालकनी और छत तक। अंत में परिवार के साथ आरती करेंl इस दिन की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है।
#जयश्रीकृष्ण 






