रायबरेली ब्यूरो धीरेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट
रोहनिया , रायबरेली। सरकारी अस्पतालों का निर्माण गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया गया है, लेकिन रोहनिया स्थित सरकारी अस्पताल वर्तमान में अपनी अव्यवस्थाओं और कथित ‘कमीशनखोरी’ के लिए चर्चा में है। सोमवार को अस्पताल पहुंचे मरीजों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए गंभीर आरोप लगाए।
अस्पताल परिसर में मौजूद पीड़ित राम नरेश पासी और चाहत मिश्रा ने मीडिया को बताया कि डॉक्टर इलाज के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के अंदर दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद, मरीजों को जबरन बाहर के मेडिकल स्टोर से महंगी दवाइयां खरीदने के लिए पर्चे लिखे जा रहे हैं।
राम नरेश पासी ने कहा, “हम गरीब लोग सरकारी अस्पताल इसलिए आते हैं ताकि मुफ्त इलाज मिल सके, लेकिन यहाँ तो बाहर की दवाइयों का बोझ डाल दिया जाता है। मना करने पर कर्मचारियों द्वारा अनावश्यक दबाव बनाया जाता है और इलाज में लापरवाही बरती जाती है।”
मरीजों का कहना है कि अस्पताल में न केवल दवाइयों का संकट है, बल्कि स्टॉफ का व्यवहार भी बेहद अमानवीय है। चाहत मिश्रा ने बताया कि पर्चा काउंटर से लेकर डॉक्टर के कक्ष तक, हर जगह मरीजों को परेशान किया जाता है। “सरकारी अस्पताल का उद्देश्य सेवा होना चाहिए, लूट नहीं। यहाँ मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है,” उन्होंने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा।
जाँच और कार्रवाई की मांग
स्थानीय नागरिकों और पीड़ितों ने स्वास्थ्य विभाग के है। उनकी मांग है कि बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टरों को चिन्हित किया जाए। मरीजों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर रोक लगे अस्पताल के स्टॉक और मेडिकल स्टोर की सांठगांठ की निष्पक्ष जाँच हो।
मरीजों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई और व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।





