

नई दिल्ली। पारंपरिक रूप से शादी को मातृत्व/पितृत्व का आधार माना जाता रहा है, लेकिन कई लोगों ने बिना विवाह के माँ/पिता बनने का साहसिक निर्णय लेकर इस परंपरा को न सिर्फ़ तोड़ा है बल्कि इस परंपरा के रूढ़िवादी मूल्यों को चुनौती भी दी है।इनमें से कई लोग आधुनिक चिकित्सा तकनीकों जैसे आईवीएफ, सरोगेसी या गोद लेने के माध्यम से पैरेंटिंग का सुख ले रहे हैं। यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है, स्त्रियों के मामले में विशेषकर यह उनके अधिकारों और विकल्पों की विस्तृत संभावनाओं को भी उजागर करता है। गायिका ‘देवी’ द्वारा बिना शादी के एक बच्चे को जन्म देने का यह कदम भारतीय समाज में सिंगल मदरशिप को प्रोत्साहित करने वाला है।
हॉलीवुड अभिनेत्री कैमरन डियाज़ ने 47 वर्ष की उम्र में, 2019 में सरोगेसी के माध्यम से बेटी रेडी को जन्म दिया, बिना शादी के। डियाज़ ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि मातृत्व उनके लिए एक व्यक्तिगत यात्रा थी, न कि सामाजिक दबाव।इन स्त्रियों के ये निर्णय बताते हैं कि उम्र या वैवाहिक स्थिति मातृत्व में बाधा नहीं। यह सुखद है देखना कि आधुनिक समाज में स्त्रियों की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के नए आयाम खुल रहे हैं। बाक़ी भावनात्मक और सामाजिक चुनौतियाँ तो बनी रहेंगी, क्योंकि इतने वर्षों की कंडीशनिंग का मुआमला है। पैरेंटिंग विवाह पर निर्भर नहीं, बल्कि प्रेम और दृढ़ता पर ही निर्भर होना चाहिए, विवाह तो एक संस्थान मात्र है।