
केएम अस्पताल : पित्त की थैली की पथरी से हुए प्रतिगामी इलियोइलियक इंटसससेप्शन का हुआ सफल ऑपरेशन
मथुरा। हरियाणा पलवल के वेद प्रकाश को नया जीवन देकर फिर केएम अस्पताल ने यह साबित कर दिया कि असंभव कुछ भी नहीं। नोएडा के चिकित्सकों ने उसे बचाने से इंकार कर दिया था लेकिन गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज के लिए केएम अस्पताल संजीवनी बन गया। स्वस्थ्य हुए मरीज व उसके परिजनों ने केएमयू के कुलाधिपति किशन चौधरी सहित सर्जरी टीम का आभार और साधुवाद जताया है और जिला पंचायत अध्यक्ष और सर्जरी टीम के विभागाध्यक्ष डा. अजय अग्रवाल ने विभागीय टीम को बधाई दी है।
विदित रहे कि पित्त की थैली की पथरी की वजह से हुए प्रतिगामी इलियोइलियक इंटसससेप्शन ऐेसी बीमारी होती है जो लाखों लोगों में से कुछ ही लोगों को होती है, जिसमें छोटी आंत का एक हिस्सा, विशेष रूप से इलियम का हिस्सा, सामान्य आंतों की गति की विपरीत दिशा में, यानी उल्टी दिशा में, खुद में ही घुस जाता है। इसे प्रतिगामी कहा जाता है क्योंकि यह सामान्य आंतों की गति के विपरीत दिशा में होता है। कई सालों से जटिल बीमारी से ग्रस्त वेद प्रकाश के पेट में दर्द, कम वजन, लैट्रिन में खून आना, उल्टी से परेशान चल रहा था, मरीज के परिजनों ने नोएडा के मैक्स अस्पताल में दिखाया जहां चिकित्सकों ने उसके बचने की उम्मीद न के बराबर बताई। मरीज के रिश्तेदार ने वेदप्रकाश को मथुरा के केएम अस्पताल की सलाह दी। सभी अस्पतालों से हारा मरीज अपने परिजनों के साथ 12 जुलाई को अस्पताल पहुंचा जहां सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. अजय अग्रवाल के निर्देशन में यूनिट हैड सीनियर प्रोफेसर डा. यशपाल जिंदल और असिटेंट प्रोफेसर डा. सागर मित्तल को दिखाया। चिकित्सकों ने मरीज का एक्स-रे, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड कराया तो प्रतिगामी इलियोइलियक इंटसससेप्शन बीमारी की पुष्टि हुई। जो पित्त की थैली में पथरी के कारण हो गई थी। असिटेंट प्रोफेसर डा. सागर मित्तल ने अपनी टीम के साथ 17 जुलाई को ऑपरेशन किया। मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर जा चुका है।
असिटेंट प्रोफेसर डा. सागर मित्तल ने बताया मरीज काफी गंभीरावस्था में यहां पहुंचा था, नोएडा के डाक्टरों ने बचने की आशा कम बताई थी, लेकिन जोखिम उठाते हुए प्रतिगामी इलियोइलियक इंटसससेप्शन से ग्रस्त मरीज की जटिल सर्जरी की गई है। पहले मरीज एक्सप्लोरेटरी लैपरोटॉमी से पेट के अंगों की जांच की गई। उसके बाद एक 5 सेमी की पित्त की थैली की पथरी जो छोटी आंत में फसी थी, उसे निकाला गया और इलियोंइलीयल एनास्टोमोसिस प्रक्रिया का प्रयोग करते हुए छोटी आंत के दो सिरों को आपस में जोड़ा गया, जिसमें आंत के एक हिस्से को हटाने के बाद, बचे हुए सिरों को फिर से जोड़ा गया। हमारे यहां मरीज करीब आठ दिन रहा और स्वस्थ होकर यहां से गया है। इस सफलता में सर्जरी टीम के यूनिट हैड सीनियर प्रोफेसर डा. यशपाल जिंदल, सीनियर प्रो. डा. अजय जैन, एसोसिएट प्रो. संकल्प श्रीवास्तव, डा. चिंतन, डा. प्रकृति, डा. लवी, डा. निधि डा. पल्लवी के अलावा निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. अंचल जैन, डा. आशीष गुप्ता, डा. रुचिरा सरकार तथा ओटी इंचार्ज राहुल ठाकुर और नर्सिंग विभाग के वार्ड इंचार्ज घनश्याम, सतीश, भारती, रूपल, अंजू चौधरी का विशेष सहयोग रहा। नई जिंदगी मिलने पर स्वस्थ हुए मरीज ने केएम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति किशन चौधरी, कुलपति डा. एनसी प्रजापति, मेडीकल सुप्रीटेंट डा. अभय सूद, एडीशनल मेडीकल सुप्रीटेंट डा. आरपी गुप्ता सहित सर्जरी टीम का आभार जताया। वहीं कुलपति ने सर्जरी टीम को बधाई दी है।
